Yesteday I watched latest Bollywood movie “Zindagi Mile Na Dobara” and suddenly felt like writing a poem. So here it goes, what came in my mind.
ना जाने क्योँ आज बारिश रिमझिम सी हो रही है
ना जाने क्योँ आज लोग नए से लग रहे है|
सपने तो हमेशा देखे थे मैंने
ना जाने क्योँ वही सपने आज नए से लग रहे है |
देखता था खुद को आईने मे रोज़
ना जाने क्योँ आज उसी चेहरे पे रौनक सी छाई है|
इस दुनिया मे तो पहले भी था लेकिन
ना जाने क्योँ आज यह दुनिया नयी सी लग रही है ||
I don't know if I can translate this my own poem in English, but I will try soon.
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